jivan ki sachai. life is learnable. keep learning every moment. Be succeessful,success will come by itself. health is wealth, helthy life. fact of life

add-1

Breaking

मंगलवार, 7 जुलाई 2020

कर्म ही जीवन है। karma hi jeevan hai

कर्म ही जीवन है।

जब मनुष्य समय पर अपना कर्तव्य करते रहते है तब समाज की व्यवस्था सुचारु रुप से चलती है। तभी सभी की उन्नति होती है। सभी सम्पन्न होते है एवं राष्ट्र समृद्ध होता है।

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा।
जो जस करहिं सो तस फल चाखा।
जीवन की सच्चाई,कर्म ही जीवन है,karma hi jivan hai,jivan ki sachai
कर्म ही जीवन है

उपनिषदों कि विद्या' सत्य' की प्राप्ति के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान का भी उपयोगी कोष है। ये हमे जीवन को प्रतिपल जीना सिखाता है।

कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेत शतं समा।
एवं त्वयि नान्यथेतोस्ति न कर्म लिप्यते नरे।

 अर्थात कर्म करते हुए ही सौ वर्ष के जीवन की कामना करनी चाहिए। बिना कर्म के एक दिन भी जीना वांछनीय नही है। मनुष्यों जब अपने कर्तव्य को नि:स्वार्थ भाव से करता है तब उसे कोई दोष नही होता और न ही कर्म के शुभ और अशुभ फल उसे बंधन मे डालता है। जो क्षण बीत जाता है वह वापस नही आता। अत: प्रत्येक क्षण को बहुमूल्य मानकर श्रेष्ठ कर्म से उसका सदुपयोग करना चाहिए।

कर्म से ही परिवार समाज और राष्ट्र बनते है, समृद्ध होते है। 

कर्म से ही मनुष्य स्वस्थ, समृद्ध एवं लोकप्रिय बनता है और सम्मान पाता है। अकर्मण्य को अपना परिवार ही अनादर करता है। कर्म करता हुआ मनुष्य औरों को भी कर्म करने की प्रेरणा देता है। मनुष्य इश्वर के प्रति-कृति कहा गया है जिसकी क्षमताएं बड़ी विलक्षण है, पर जब वह कर्म करेगा तब ही क्षमताएं बाहर आएगी । कर्म  करने से ही मष्तिष्क मे रचनात्मक विचार आते है। विश्व की जो भी प्रगति हुए है कर्म करने से ही हुई है।

तुलसीदास जी ने उचित ही कहा है कि, 
कायर पुरुष भाग्य के सहारे बैठे रहते है जबकि पुरुषार्थी दुनिया बदल देते है।

एक बार एक वृद्ध पेड़ लगा रहा था। राजा के ये कहने पर कि इसमे फल निकलने तक तो तुम जीवित ही नही रहोगे, वृद्ध ने कहा कि मेरा काम कर्म करते रहना है फल किसी न किसी को अवश्य खाने को मिलेगा। निरंतर कर्म करने वाला सुर्य के समान है, जो बिना मांगे सबको प्रकाश देता है। जब मनुष्य समय पर अपना कर्तव्य करते रहते है तब समाज की व्यवस्था सुचारु रुप से चलती है। सभी की उन्नति होती है। सभी सम्पन्न होते है एवं राष्ट्र समृद्ध होता है।

गीता के आदेशानुसार अकर्मण्यता से दुर रहते हुए कर्म रुपी प्राप्त अधिकार का प्रयोग करते हुए अपना एवं समाज का कल्याण करते रहना चाहिए।

महानता की सच्ची परिभाषा है।
साधारण लोग असाधारण काम करें।

लहरों की डर से नौका पार नही होती।
कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती।

https://www.jivankisachai.com/







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

please do not enter any spam link in the coment box.

add-4