ह्रदय रोग एवं उपचार
मनुष्य का दिल शरीर का एक छोटा अंग होता है। जो छाती के बीचोबीच हड्डियों के बने कवच के बीच स्थित होता है। अधिक वसा के कारण ह्रदय की धमनियों मे अवरोध पैदा हो जाता है जिससे रक्त का आवागमन रुक जाता है और दिल तक रक्त पहुंचने मे बाधा उत्पन्न हो जाती है। रक्त का थक्का सा बनने लगता है। यही मनुष्य के लिय प्राणघातक ह्रदयघात साबित होता है।
ह्रदय रोग एवं उपचार |
कारण :
- मोटापा बढ़ने या हाई वी.पी. के कारण।
- ज्यादा आराम के कारण।
- मधुमेह या लगातार गैस रहने के कारण।
- धुम्रपान करने या शराब पीने के कारण।
- अंडा, मांस और डेरी प्रोडक्ट के अधिक उपयोग से।
- समान्य नियम का पालन न करने से।
सुझाव:
हार्ट फेल होने की स्थित मे जब एन्जाइना का दर्द बर्दाश्त से बाहर हो उस समय होम्योपैथी दवा ACONITE- 200 एक -एक बुंद तीन बार 5-5 मिनट के अन्तर पर जीभ पर डालने से तुरन्त 5 से 6 मिनट के अन्दर आराम मिलेगा।उपचार:
देशी गाय का घी खाने से खराब कोलेस्ट्रॉल नही बनता है। तेल जितना गाढ़ा होगा उतना अच्छा होगा तथा दुध जितना पतला होगा उतना अच्छा होगा।
छिलके वाली दाल और छिलके वाली सब्जियां अधिक खाने से कोलेस्ट्रॉल घटता है। खाना बनाते समय फलों और सब्जियों के छिलके कभी न उतारें, क्योंकि इसमे प्रोटीन और फाइबर की मात्रा अधिक होती है। बिना पाॅलिस किया हुआ चावल और दाल खाइये। रोटी मोटे अनाज की खाएं। जितना मोटा अनाज होगा ह्रदय रोग की दृष्टि से उतना अच्छा होगा। मोटे अनाज मे मक्का, बाजरा, ज्वार, गेहूँ, चना आदि का आटा मोटा हो, छलनी से छानना नही चाहिए।
सारी क्षारीय वस्तुएँ नियमित रुप से खाएं। जैसे - आंवला, एलोविरा जुस, एलोविरा फ्रेस पत्ता काटकर , छीलकर सिर्फ गुद्दा चबाकर खाएं। 1 दिन मे 10 से 15 ग्राम से ज्यादा नही।
छोटा मेथी दाना पीला-पीला होता है इसे नियमित रुप से कांच के गिलास मे 1 चम्मच 1 गिलास गरम पानी मे शाम को डालकर सुबह पानी पीना है। और मेथी दाना चबा- चबाकर खाना है।
लौकी का रस बिना छिलका उतारे हुए पीसकर निकालना है उसमे तुलसी धनियां और पुदीना 5 से 10 पत्ते तीनो की चटनी बनाकर एक कप लौकी के रस मे डालकर सुबह खाली पेट लेना सबसे अच्छा होता है। दोपहर को भी ले सकते है। खाना खाने के बाद भी ले सकते है, लेकिन शाम को नही लेना है। 2-4 काली मिर्च भी मिला सकते है। इसको पानी या कोई भी चीज लेने के 40 मिनट बाद ही लेना है।
हार्ट की समस्या वाले लोग मक्खन न खाएं। हमेश तरल चीजें पहले लनी है और ठोस चीजें उसके बाद लेनी है।
ह्रदयघात रोग के लक्षण |
SYZYIEUM- JAMBOLIM-Q मदर टिंचर 15-20 बुंद चौथाई कप गुनगुना पानी मे मिलाकर दिन मे 3 बार लेना है सुबह, दोपहर, शाम।
लौकी का रस 1 गिलास मे काली मिर्च, पुदीना, और हरे धनियां का पत्ता मिलाकर सुबह शाम तीन महीने तक खाली पेट पीयें।
डीब्बा बन्द तेल और रीफाइण्ड तेल कभी न खायें। सोयाबीन का तेल कभी न खायें। सुरज मुखी का तेल कभी नही खाना चाहिए।
इस बिमारी मे लहसुन का प्रयोग सर्वश्रेष्ठ है। खाने मे पके रुप मे और कच्चे रुप मे भी ले सकते हैं।
कच्ची लौकी का रस थोड़ा हींग, जीरा, मिलाकर सुबह - शाम पीने से तत्काल लाभ मिलता है। लौकी का सब्जी भी खा सकते है।
अंगुर का रस नियमित लेने से काफी लाभ मिलता है। गुलकंद खाने से भी आराम मिलता है।
अदरक का रस निकालकर उसमे थोड़ा सा शहद मिलाकर चाटने से तत्काल आराम मिलेगा। ह्रदयघात के समय ठंढी चीजें कभी न दें।
एक कोशिश हमने की है, एक कोशिश आप करना।
बीमारी को जानना उसे पहचानना, सही नुस्का विधिवत अपनाना।
पथ्य- अपथ्य, आहार- विहार अपनाकर, बीमारी अपनी दुर भगाना।
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