उच्च रक्तचाप का आयुर्वेदिक उपचार
उच्च रक्तचाप ह्रदय, गुर्दे और रक्त संचालन प्रणाली की गड़बड़ी के कारण होता है। यह रोग किसी को भी हो सकता है। यह चुपके-चुपके शरीर मे आता है और कई तरह के बिमारीयों को साथ लाता है। कई वर्षों तक तो इस रोग का पता ही नही चलता लेकिन जब पुर्ण रुप से इसका प्रकोप होता है तब पता चलता है।
उच्च रक्तचाप के
कारण
आयुर्वेदिक उपचार |
जो लोग क्रोध, भय, दुःख या अन्य भावनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते है। उन्हें यह रोग अधिक होता है। जो लोग परिश्रम कम करते है, तथा अधिक तनाव मे रहते, शराब या धुम्रपान अधिक करते है उन्हें भी यह होता है। अनुवांशिकता या मानसिक तनाव के कारण। ज्यदा वजन या मोटापा या अनियमित जीवन शैली से।
उच्च रक्तचाप के
लक्षणइसमे सिर मे दर्द होता है और चक्कर आने लगते है। दिल की धरकन तेज हो जाती है। आलस्य होना, जी घबराना, काम मे मन न लगना, पाचन क्षमता कम होना, और आँखों के सामने अंधेरा आना , नींद न आना आदि लक्षण होते है।
उच्च रक्तचाप के
प्रभावहाई बी.पी. से मष्तिष्क की धमनियों मे परिवर्तन आने लगता है। जिससे ब्रेन हैमरेज हो सकता है। बेहोशी सी छा जाती है। कभी- कभी पक्षाघात भी हो सकता है।
हाई बी.पी. का दुसरा सबसे बड़ा प्रभाव दिल पर परता है। बी.पी.बढ़ने से धमनियों मे रक्त पम्प करने के लिए दिल को काफी मेहनत करनी पड़ती है। कुछ वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद दिल थकने लगता है, जिससे उसकी रक्त पम्प करने की ताकत घट जाती है। थोड़ी सी शारिरिक मेहनत करने के बाद सांस फुलने लगती है और धीरे- धीरे ह्रदयघात की संभावनाएँ बढ़ जाती है।
हाई बी.पी. का आँखों पर बुरा असर पड़ता है। रक्त दबाव बढ़ने से रेटिना की लघु रक्त वाहिकाएं बच नही पाती जिससे दृष्टि कम हो जाती है या धुंधली हो जाती है।
हाई बी. पी. होने से गुर्दे की खुन छानने वाली इकाइयों की ओर खुन लाने और साफ हुआ खुन ले जाने वाली धमनियों पर गंभीर असर पड़ता है। जिससे कुछ वर्षों बाद गुर्दे धीरे- धीरे काम करना कम कर देते है।
उच्च रक्तचाप
इसके घरेलु उपाय निम्नलिखित है।उपचार
घरेलू दवाई |
उच्च रक्त दबाव मे नमक पानी से स्नान करना है। 1 बाल्टी पानी मे 10 से 15 ग्राम नमक मिला दीजिए और इस पानी को सिर को छोड़कर पुरे शरीर पर डालिए और स्नान करने के बाद शरीर को 5-7 मिनट तक पोछिये मत साबुन का प्रयोग कभी न करें। 15 से 20 दिन मे ठीक हो जायेगा। सबसे अच्छा सेंधा नमक, इसके बाद काला नमक का उपयोग करें। आयोडीन युक्त नमक का कभी प्रयोग न करें।
दालचीनी का पावडर पत्थर पर पीसकर आधा चम्मच रोज खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें। आधा चम्मच शहद और आधा चम्मच दालचीनी का पावडर गुनगुने पानी के साथ ले। मैथी दाना एक चम्मच एक गिलास गरम पानी मे शाम को भिगो दे और सुबह खाली पेट वह पानी पी लिजिए और और मैथी दाने को चबा -चबाकर खा लिजिए। आधा चम्मच अर्जुन की छाल का पावडर आधा ग्लास गरम पानी के साथ सुबह खाली पेट ले। काढ़े की तरह यह हाई.बी.पी. कोलेस्ट्रॉल, ट्राईग्लिसराइड, मोटापा, हार्ट मे ब्लाकेज ठीक करता है।
लौकी का रस आधा कप सुबह खाली पेट नास्ता करने से 1 घंटे पहले 5 पुदिना पत्ता, 5 तुलसी पत्ता, 3-4 काले मिर्च मिलाकर लें। 5 बेल पत्र के पत्तों को पत्थर पर पीस कर चटनी बना लें। और एक गिलास पानी मे तब तक उबालें जब तक की आधा न हो जाये और उसके बाद चाय की तरह पी लें। बेल पत्र शुगर को भी नार्मल करता है। गौमुत्र आधा कप रोज सुबह खाली पेट लें।
कच्चे लहसुन की एक -दो कली पीसकर प्रात:काल चाटने से उच्च रक्तचाप सामान्य होता है।
कोमल नीम की पत्ती चबाने से या उनका रस निकालकर पीने से भी रक्त चाप कम होता है और ठीक भी होता है।
प्रतिदिन रात को गरम पानी मे त्रिफला चुर्ण लेने से यह बीमारी दुर होती है।
आँवले का रस सबसे अधिक लाभकारी है अथवा आँवले का मुरब्बा भी ले सकते हैं। खाने मे मुली का नियमित सेवन करें।
गरम पानी मे नींबु निचोड़कर और उसमे शहद मिलाकर, (गुनगुने पानी मे ) लगातार पन्द्रह दिन तक पानी पियें उच्च रक्तचाप सामान्य होता जायेगा।
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