आयुर्वेदिक ज्ञान,
आयुर्वेद सनातन है शाश्वत है। आयुर्वेद जो मात्र चिकित्सा न
होकर जीवन का विज्ञान है। वही आयुर्वेद जो वेदों का अमर मंत्र है। यह प्रश्न
महत्त्वपूर्ण है कि आज हमे आयुर्वेद के मार्गदर्शन की आवश्यकता क्युँ पड़ी ?
आज तेजी से बढ़ते औद्योगिकरण ने विकास को नया स्वरूप दिया है।
इससे लोगों के रहने का अन्दाज तथा आस-पास का परिवेश बदला है। बहुत से लोगों को यह
परिवेश सुखकर प्रतीत होता है लेकिन क्या यह वास्तविकता है, यह विचारणीय है। जहाँ पहले हरियाली बिछी
रहती थी वहाँ आज गगनचुम्बी इमारते खड़ी है। जिस वातावरण मे पक्षियों की चहचहाहट
मधुर संगीत का आभास देती थी, वही
वातावरण आज पक्षियों को भयभीत कर रहा है। आज गौरैया न जाने कहाँ गुम हो गई है,
कौआ की काँव- काँव भी अब कभी कभार ही
सुनाई देती है। शहरों की अनियंत्रित विकास से खेती की सीमायें सिमट चुकी है।j
आयुर्वेद सनातन है शाश्वत है
आज आदमी दिन और रात का फर्क भुलता जा रहा है। इस भागम -भाग मे
हर कोई सुख की मंजिल पैसे की राह से पाना चाहता है। पैसा कमाने की होड़ ने खान-पान
इस हद तक ब्लाब कर दिया है कि हम स्वास्थ्यप्रद खाद्द पदार्थ को भुलते जा रहे हैं
। आज बाजार मे फटाफट बनने बाला व्यंजनों की बाढ़ सी आगई है। पर हम सब भलीभांति
जानते हैं कि इन सबसे हमारी सेहत बनेगी नही बिगड़ेगी फिर भी जमाने के साथ चलने का
जुनून हमे इनसे दुर जाने नही देता।
आज अपने देश की बात करें तो तेजी से बदलती इस जीवनशैली ने आम
भारतीयों की भारतीयता मानो छीन सी ली है। इस आधुनिकीकरण ने सभी को ऐसी जिंदगी जीने
को मजबुर कर दिया है जहाँ रोग ही रोग है। भारत की इस वर्तमान दशा और दिशा पर जो भी
सर्वेक्षण हुए है वे सभी बेहत चौकाने वाले हैं। इसके अनुसार बिगड़ी जीवनशैली के
फलस्वरूप आने वाले समय मे रोग इस कदर बढ़ जायेंगे कि संक्रामक रोग, महामारी भी जिनके सामने बौने लगेंगे।
खान- पान का बिगड़ा स्वरूप कैंसर, ह्रदय
रोग, मधुमेह, मोटापा, थायराइड, हड्डियों के रोग आदि रोगों को बढ़ावा
देगा।
वर्तमान मे अगर हम देखें तो ये सभी घातक रोग असीमत रुप से अपना
पैर फैला चुकी है भविष्य की कल्पना तो बहुत दुर की बात है। गली गली मे खुले
क्लिनिक और चारों ओर खुले अस्पताल मरीजों से भरी दिखाई देते है। मंहगी होती जा रही
चिकित्सा लोगों को कमर तोड़ रही है। निम्न वर्ग के लोगों तक आधुनिक चिकित्सा का
पहुँचपाना लगभग
असंभव हो गया है।
आयुर्वेद मनुष्य निरोगी जीवन देता है
सेहत की स्थिति बद से बदतर हो इससे पहले हमे सचेत हो जाना
चाहिए। डाक्टरों के पिछे भागने के वजाय हमे पटरी से उतर चुकि अपनी जीवन शैली को
फिर से पटरी पर लाना होगा, मंहगी चिकित्सा से सस्ती- घरेलु
चिकित्सा की ओर जाना होगा, और
इसका मार्गदर्शन हमे देगा 'आयुर्वेद'।
मात्र आयुर्वेद एक एसा शास्त्र या चिकित्सा पद्वति है जो
मनुष्य को निरोगी जीवन देने की गारंटी देता है। बाकि सभी पद्धतियों मे पहले बिमार
पड़ो फिर इलाज किया जायेगा और गारंटी कुछ भी नही है। आयुर्वेद के इस ज्ञान को
फैलाने वाले अनेक ऋषि एवं वैद्य हुए है जैसे, चरक ऋषि, सुश्रुत ऋषि, आत्रेय ऋषि, पुनर्वसु ऋषि, कश्यप ऋषि, निघण्टु ऋषि, आदि-आदि। इसी श्रृंखला मे मे एक महान
ऋषि हुए है वाग्भटट ऋषि, जिन्होने
आयुर्वेद के ज्ञान को लोगों तक पहुंचने के लिए एक शास्त्र की रचना कि जिसका नाम है
अष्टांग ह्रदयम। इसमे 7000 श्लोक
दिये है जो मनुष्य जीवन को निरोगी बनाने के लिए है।
माना कि गुल को गुलशन न कर सके हम,
पर कर देंगे कुछ कांटे कम।
https://www.jivankisachai.com/
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