जैसा संगत- वैसा रंगत
कदली,सीप,भुजंग मुख स्वाती एक गुण तीन।
जैसी संगति बैठिये, ता सोई फल दीन।
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संगत मे रंगत |
- संगति का मनुष्य जिवन पर बहुत अधिक असर पड़ता है। नीतिशतक मे कहा गया है कि मनुष्य का चरित्र दीक्षा से नही वरना चरित्रवान गुरु व साथियों के संग से बनता है। योग्य व प्रतिभावान साथियों की संगति से मनुष्य की बुद्दी पैनी होती है, उसका ज्ञान बढ़ता है और उसके सोचने का ढंग प्रभावशाली होता है। इसके विपरीत मुर्खों,घमंडियों की संगति से बुद्दी पर जड़ता आ जाती है। संगति के प्रभाव से समाज मे आदर,प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। चारों ओर यश फैलता है। सच तो यह है कि मनुष्य का सर्वांगीण विकास अच्छी संगति मे ही संभव है।
संगत मे ही रंगत होती है
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sangati ka prabhav |
- सज्जनों की संगति से पाप भावना दुर होती है, मनुष्य चरित्रवान बनता है। वहीं दुर्जनों की संगति से मनुष्य चरित्रहीन बन जाता है, और हीन भावना से ग्रसित रहता है। इसिलिए संगत हमेशा अच्छे लोगों का ही करना चाहिए। किसी भी व्यक्ति का विकास केवल किताबों, स्कूलों, या काॅलेज जाने भर से नही होता वरन यह विकास अच्छे शिक्षकों के मार्गदर्शन, प्रतिभा संपन्न साथियों के संग रहने से होता है। दरअसल ,संगति मानव जिवन का वह जादु है जिसकी बदौलत व्यक्ति हर असंभव कार्य को संभव कर लेता है।
- इस संबंध मे महाभारत मे कहा गया है कि तुच्छ विचार वाले मनुष्यों की संगति से मनुष्य कि बुद्दी तुच्छ हो जाती है। समान मनुष्यों की संगति से वह ज्यों का त्यों बना रहता है। परंतु उच्च विचार वाले व्यक्तियों की संगति मे वह उत्कर्ष को प्राप्त करता है,एवं जीवन मे सफलता को प्राप्त करता है। हमारे जीवन मे संगति का बहुत अधिक असर पड़ता है।
- हमारी जिंदगी मे अच्छी संगति भी बहुत मायने रखती हैं।इसलिये बोला जाता है जैसा संग वैसा रंग । यदि इंसान अच्छी संगति मे हमेशा रहेगा तो कितनी भी बड़ी समस्या क्यों ना हो वह आसानी से समस्या से बाहर आ जायेगा क्योकि अच्छी संगति से हमेशा सकारात्मक भाव व हिम्मत आती हैं । आध्यात्मिक जगत की बात करे तो ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जायेंगे जहॉ संगति से हिंसक पशु भी शांत होकर बैठ जाता हैं जैसे कि भगवान महावीर । वह जहॉ भी होते वहॉ से कुछ किलोमीटर दूरी तक उनकी आभा का इतना प्रभाव पड़ता था कि शेर भी अहिंसक हो जाता । उनको सॉप काटे जाने पर रक्त की जगह दूध का निकलना ।ये सभी बाते दर्शाती है कि वह कितने भव्य आत्माये थी ।उनकी संगति तो क्या ,अंतिम समय मे उनकी वाणी सुनते ही कितने लोग मोक्ष गति को प्राप्त हो गये ।
- पानी का एक बुंद गरम तवे पर गीरे तो मिट जाती है।कमल के पत्ते पर गीरे तो मोती की तरह चमकने लगती है।
- और सीप मे आ गीरे तो खुद मोती बन जाती है। पानी की एक बुंद तो वही है बस संगत का फर्क है।
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